हाल ही में हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने जिस तरह मुंबई के ब्रांडी हाउस स्थित पंजाब नेशनल बैंक में 11 हजार करोड़ से अधिक की सेंध लगाई है , वह नई नहीँ है । आंकड़ों के मुताबिक 2012 से दिसम्बर 2017 तक 25,600 बैंक घोटाले सामने आ चुके हैं । जिससे बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगना स्वभाविक है ।
ऐसे में , आर्थिक विकास की भाँति बैंकिंग तंत्र में अपेक्षित सुधारों को भी गम्भीरता से लिये जाने की आवश्यकता है । भविष्य में , बैंक घोटाले न हो इसके लिये सबसे पहली व प्राथमिक कोशिश यही होनी चाहिये कि बैंकिंग नियामक अर्थात भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऑडिट करने वाली संस्थाओं के साथ बैंकिंग प्रशासन की सामूहिक जवाबदेही सुनिश्चत की जाये ।
नीरव मोदी वाले मामले से सीख लेते हुये , उच्च अधिकारियों के तबादले सम्बन्धी नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चत हो ।
इसके अतिरिक्त जरूरत इस बात की भी है कि दैनिक स्तर पर बैंकिंग लेने - देन की निगरानी हेतु एक स्पेशल अधिकारी की नियुक्ति हो ।
जवाबदेही और कार्यशैली में सुधार हेतु बैंकिंग सेक्टर के मैनेजमेंट में निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया सकता है ।
बढ़ता एनपीए बैंकों की सर्व -प्रमुख चिंता है । फाइनेँसिय्ल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार देश का एनपीए 9.6 फीसद है । यानि श्रीलंका जैसे देश की जीडीपी का दोगुना ! इस नासूर से छुटकारे हेतु ऋणार्थी की ऋणअदायगी क्षमता के साथ पूर्व कार्यों की निष्पक्ष जाँच पर बल देना होगा और ज्यादा ऋण की स्थिति में ' ऋण - सीमा ' भी निर्धारित करनी होगी ।
बढ़ता एनपीए बैंकों की सर्व -प्रमुख चिंता है । फाइनेँसिय्ल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार देश का एनपीए 9.6 फीसद है । यानि श्रीलंका जैसे देश की जीडीपी का दोगुना ! इस नासूर से छुटकारे हेतु ऋणार्थी की ऋणअदायगी क्षमता के साथ पूर्व कार्यों की निष्पक्ष जाँच पर बल देना होगा और ज्यादा ऋण की स्थिति में ' ऋण - सीमा ' भी निर्धारित करनी होगी ।
निःसंदेह रुप से बात चाहे हरित क्रांति की हो या जन - धन खातों के माध्यम से गरीब तबके के वित्तीय समावेशन की , बैंकिंग प्रणाली ने उतरोत्तर कार्य किया है । किंतु निश्चित समय अंतराल में व्यापक व ईमानदारीयुक्त निरीक्षण , प्रशासनिक स्तर पर नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण में ' राजनीतिक हस्तक्षेप' को न्यूनतम कर देश के आर्थिक - सामाजिक विकास की धुरी कही जाने वाली बैंकिंग व्यवस्था पर आम आदमी के विश्वास को बढ़ाया तथा तंत्र में मज़बूती कर भविष्य में पंजाब नेशनल बैंक में हुई घोटाले जैसी ऐतिहासिक व अनैतिक चूक से बचा जा सकता है .
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In English
Recently, diamond trader Neerav Modi, like in Mumbai's Brandi House located in the Punjab National Bank, has tied up more than 11 thousand crore, it is not new. According to statistics, 25,600 bank scams have come up from 2012 to December 2017. It is natural to question the functioning of banks.
In such a situation, the necessary reforms in the banking system, like economic development, need to be taken seriously. In the future, the first and foremost effort should be for the bank not to scam, that the banking administration's accountability should be ensured by the banking regulator, ie the institutions conducting audit by the Reserve Bank of India.
By learning from Nirvava Modi case, strict adherence to the rules relating to the transfer of high officials can be ensured.
In addition, there is a need for the appointment of a special officer to monitor banking transactions at the daily level.
To improve accountability and working style, private sector can be promoted in the banking sector management.
Growing NPAs are the main concerns of banks. According to the Financial Stability Report, the country's NPA is 9.6 per cent. That is twice the country's GDP doubled! For the redemption of this canker, the debtor's debt will have to be emphasized on the impartial investigation of the prior work and the credit limit will also be fixed in the case of more credit.
The banking system has done posthumously in the matter of financial inclusion of the poor sections through the funds accounts, whether it is the Green Revolution or the public-fundamentally speaking. But, in a time-bound, comprehensive and honest inspection, minimizing the 'political intervention' in the appointment, promotion and transfer at the administrative level, enhanced the confidence of the common man on the banking system of the country's economic-social development, and strengthening the system Taxes can be avoided in the future, such as the scandal in Punjab National Bank.